26 दिसम्बर 2019 को वर्ष का आखरी सूर्यग्रहण दिखेगा| यह वलयाकार सूर्यग्रहण होगा| इस तरह के सूर्यग्रहण विरले ही होते है| मैंने ऐसा ही ग्रहण 15 जनवरी 2010 में धनुषकोडी से देखा था, जो तमिलनाडू के रामेश्वरम के पास मछुवारों का एक कस्बा है| वह अनुभव काफी रोमांचकारी था| ग्रहण वैसे भी काफी मजेदार अनुभव देने वाले होते है| आकाश में चन्द्रमा और सूर्य लगभग एक ही आकार के नजर आते है| वास्तव में चन्द्रमा सूर्य से चारसौ गुना छोटा है| लेकिन सूर्य बड़ा होने के बावजूद इसकी पृथ्वी से दुरी, चन्द्रमा और पृथ्वी के दुरी की तुलना में चारसौ गुना ज्यादा है| सूर्य-चन्द्रमा का यही कमाल का आकार और दुरी का अनुपात इन्हे पृथ्वी के आकाश में लगभग एक जैसे आकार का दिखता है| इसी वजह से पुरे सौर मंडल में पृथ्वी ही ऐसी एक जगह है जहाँ से सूर्यग्रहण के कमाल के नज़ारे देख सकते है|
जब सूर्य के सामने से चन्द्रमा गुजरता है तब वह सूर्य को ढक देता है और सूर्य कुछ देर के लिए चन्द्रमा के पीछे छुप जाता है| सूर्य कितना ढक जायेगा यह चन्द्रमा की पृथ्वी दुरी तथा आकाश में उसके मार्ग पर निर्भर करता है| इन्ही वजह से हमे सूर्यग्रहण तीन प्रकार के दिखाई देते है|
आंशिक सुर्यग्रहण: आंशिक ग्रहण में चन्द्रमा सूर्य के सामने पूरी तरह से नहीं गुजरता और कुछ ही हिस्से को ढक पाता है| इस प्रकार में अगर चन्द्रमा सूर्य को 99% प्रतिशत भी ढक ले फिर भी आंशिक ही गिना जाता है|
पूर्ण सूर्यग्रहण: इस प्रकार में सूर्य पूरी तरह चन्द्रमा के पीछे छुप जाता है| इस ग्रहण में चन्द्रमा का सापेक्ष आकार सूर्य के बराबर या सूर्य से बड़ा होता है|
वलयाकार सूर्यग्रहण: इस ग्रहण में चन्द्रमा सूर्य के सामने से गुजरता तो है पर चन्द्रमा का आकार छोटा होता है इस वजह से सूर्य की डिस्क का बाहरी हिस्सा खुला ही रह जाता है और यह हमें वलय के आकार का दिखाई देता है| वलयाकार ग्रहण में चन्द्रमा पृथ्वी के परिक्रमा कक्ष में ज्यादा दुरी पर होता है इसे अपॉगी apogee पॉइंट कहा जाता है| पृथ्वी से ज्यादा दूर होने के कारण ही चन्द्रमा का आकार आकाश में थोडा छोटा नजर आता है|
कोई भी सूर्यग्रहण पृथ्वी पर सब जगह से नही दिखाई देता| इसकी वजह यह है की चन्द्रमा की मुख्य परछाई या छाया का आकार बहोत छोटा होता है| इसकी चौडाई कुछ सौ किलोमीटर के आसपास ही होती है| पृथ्वी के जिस हिस्से से गुजरती है उसी जगह से उन्नत ग्रहण या Maximum Eclipse दिखाई देता है| चन्द्रमा की उपछाया वाला हिस्सा जिन जगहों पर से गुजरता है वहा से ग्रहण का कम हिस्सा दिखाई देता है| मुख्य छाया से आपकी दुरी जीतनी ज्यादा होती है उतना ही कम ग्रहण आप देख सकते है| जब भी ग्रहण हो तो मुख्य छाया के केंद्र के करीब रहना ज्यादा बेहतर होता है|
26 दिसम्बर वाले ग्रहण की छाया दक्षिण भारत से गुजरेगी| इस छाया के मार्ग में आनेवाले मुख्य शहर कन्नूर, कोइम्बतुर और डिंडीक्कल है| इस छाया की चौडाई लगभग 150 किलोमीटर है और यह छाया सऊदी अरब से होकर भारत, श्रीलंका, सिंगापुर और फिर प्रशांत महासागर में ग्वाम द्वीप तक चलेगी| ऊपर दिखाए गए एनीमेशन में आप इस छाया का मार्ग देख सकते है| भारत में यह सुबह 8 बजकर 5 मिनट से शुरू होगा| वलयाकार स्थिति में 9 बजकर 24 मिनट से 9 बजकर 27 मिनट तक रहेगा| फिर 11 बजकर 5 मिनट पर पूरा हो जायेगा| भारत के बाकी हिस्सों से यह आंशिक रूप में दिखेगा|
सूर्य ग्रहण देखने के लिए आपको विशेष सावधानी लेनी होती है| सूरज की किरणे हमारी आँखों को नुकसान पहुंचा सकती है| इसीलिए सूर्य ग्रहण के लिए बने फ़िल्टर चश्मों से ही सूर्य ग्रहण देखना चाहिए|
ग्रहण को लेकर और भी जानकारी मैंने मेरे इसी ब्लॉग में लिखी है| उसे आप इस लिंकपर जाकर पढ़ सकते है| http://amolkate.blogspot.com/2018/06/
Reference
1. विकिपीडिया - https://en.wikipedia.org/wiki/Solar_eclipse_of_December_26,_2019
2. अनिमेशन - https://www.timeanddate.com/eclipse/solar/2019-december-26
3. space.com
4. NASA Eclipse website
15 जनवरी 2010 का वलयाकार सूर्यग्रहण, धनुषकोडी |
आंशिक सुर्यग्रहण: आंशिक ग्रहण में चन्द्रमा सूर्य के सामने पूरी तरह से नहीं गुजरता और कुछ ही हिस्से को ढक पाता है| इस प्रकार में अगर चन्द्रमा सूर्य को 99% प्रतिशत भी ढक ले फिर भी आंशिक ही गिना जाता है|
पूर्ण सूर्यग्रहण: इस प्रकार में सूर्य पूरी तरह चन्द्रमा के पीछे छुप जाता है| इस ग्रहण में चन्द्रमा का सापेक्ष आकार सूर्य के बराबर या सूर्य से बड़ा होता है|
वलयाकार सूर्यग्रहण: इस ग्रहण में चन्द्रमा सूर्य के सामने से गुजरता तो है पर चन्द्रमा का आकार छोटा होता है इस वजह से सूर्य की डिस्क का बाहरी हिस्सा खुला ही रह जाता है और यह हमें वलय के आकार का दिखाई देता है| वलयाकार ग्रहण में चन्द्रमा पृथ्वी के परिक्रमा कक्ष में ज्यादा दुरी पर होता है इसे अपॉगी apogee पॉइंट कहा जाता है| पृथ्वी से ज्यादा दूर होने के कारण ही चन्द्रमा का आकार आकाश में थोडा छोटा नजर आता है|
सूर्यग्रहण के प्रकार आंशिक, पूर्ण और वलयाकार |
कोई भी सूर्यग्रहण पृथ्वी पर सब जगह से नही दिखाई देता| इसकी वजह यह है की चन्द्रमा की मुख्य परछाई या छाया का आकार बहोत छोटा होता है| इसकी चौडाई कुछ सौ किलोमीटर के आसपास ही होती है| पृथ्वी के जिस हिस्से से गुजरती है उसी जगह से उन्नत ग्रहण या Maximum Eclipse दिखाई देता है| चन्द्रमा की उपछाया वाला हिस्सा जिन जगहों पर से गुजरता है वहा से ग्रहण का कम हिस्सा दिखाई देता है| मुख्य छाया से आपकी दुरी जीतनी ज्यादा होती है उतना ही कम ग्रहण आप देख सकते है| जब भी ग्रहण हो तो मुख्य छाया के केंद्र के करीब रहना ज्यादा बेहतर होता है|
26 दिसम्बर वाले ग्रहण की छाया दक्षिण भारत से गुजरेगी| इस छाया के मार्ग में आनेवाले मुख्य शहर कन्नूर, कोइम्बतुर और डिंडीक्कल है| इस छाया की चौडाई लगभग 150 किलोमीटर है और यह छाया सऊदी अरब से होकर भारत, श्रीलंका, सिंगापुर और फिर प्रशांत महासागर में ग्वाम द्वीप तक चलेगी| ऊपर दिखाए गए एनीमेशन में आप इस छाया का मार्ग देख सकते है| भारत में यह सुबह 8 बजकर 5 मिनट से शुरू होगा| वलयाकार स्थिति में 9 बजकर 24 मिनट से 9 बजकर 27 मिनट तक रहेगा| फिर 11 बजकर 5 मिनट पर पूरा हो जायेगा| भारत के बाकी हिस्सों से यह आंशिक रूप में दिखेगा|
ग्रहण की मुख्य छाया का हिस्सा गहरे रंग से दिखया गया है, उन जगहों पर वलयाकार ग्रहण दिखेगा| बाकि जगहों पर आंशिक ग्रहण दिखाई देगा| सौजन्य - विकिपीडिया |
ग्रहण को लेकर और भी जानकारी मैंने मेरे इसी ब्लॉग में लिखी है| उसे आप इस लिंकपर जाकर पढ़ सकते है| http://amolkate.blogspot.com/2018/06/
Reference
1. विकिपीडिया - https://en.wikipedia.org/wiki/Solar_eclipse_of_December_26,_2019
2. अनिमेशन - https://www.timeanddate.com/eclipse/solar/2019-december-26
3. space.com
4. NASA Eclipse website
Thanks for your important information....
ReplyDeleteVery good information on current topic.
ReplyDeleteAmol good morning
ReplyDeleteGoid
ReplyDeleteNice
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